देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें। थोड़ा जल स्वयं पी लें और मिश्री प्रसाद के रूप में बांट दें। साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।। शंकर हो https://shivchalisas.com